सुबह से मन कुछ अनमना सा हो रहा है । आज क्लिनिक भी नहीं गया । अभी ब्लागजगत की सैर करके लौटा हूँ, कुछ ख़ास पोस्ट नहीं दिखीं । अब बाकी कल देखा जायेगा..सोच कर सोने आया । प्रयास करने पर नींद और भी आँखमिचौली खेलती है । एफ़०एम० लगा दिया है, कुछेक गाने बज गये, क्या सुना, मुझे स्वयं पता नहीं । दो बजने वाले हैं, जब गानों में मन गड़ाने का प्रयास किया तो फ़ालतू सवाल ज़वाब होने लग पड़ा.. ..
FM. क्यों चलती है पवन
मैं. हवा का दबाव कम होने से
FM.क्यों झूमे है गगन
मैं.धरती की अपनी धुरी पर घूमने के कारण
FM.क्यों मचलता है मन
मैं.हृदय की गति और साँस बढ़ जाने के कारण
FM.न तुम जानो ना हम
मैं.अरे भाई अभी सभी कारण बताया तो
FM.क्यों आती है बहार
मैं.मौसम बदलने की वज़ह से
FM.क्यों लुटाता है करार
मैं.दिमागी तनाव से
FM.क्यों होता है प्यार
मैं.विपरीतलिंगी आकर्षण से
FM.ना तुम जानो ना हम
मैं.अरे भाई यह सब वैज्ञानिक बाते हैं , इनमें सिर मत खपाओ
FM.क्यों गुम है हर दिशा
मैं.क्योंकि तुम्हें दिशाभ्रम होगया है
FM.क्यॊ होता है नशा
मैं.ड्रुग्स लेने लगे होगे
FM.क्यों आता है मज़ा
मैं.अरे यार सांइस इसका ज़वाब दे चुका है
FM.ना तुम जानो ना हम
मैं.बड़े वाहियात आदमी हो, यार !
इतनी देर से तुमको बता क्या रहा हूँ, समझ नहीं आता !
मैं रेडियो बंद कर देता हूँ, इस अकारण खिन्नाहट की वज़ह ? मैं स्वयं ही नहीं जानता और इस खुशनुमा गीत का कबाड़ा परोसने टेबल पर आ गया हूँ !
3 टिप्पणी:
khinn man se bade achhe jawaab diye hain aapne...
सही परोसा कबाड़ा..गाने का कबाड़ा तो कर ही दिया, हा हा!॒!
bhut aache javab. likhte rhe.
लगे हाथ टिप्पणी भी मिल जाती, तो...
जरा साथ तो दीजिये । हम सब के लिये ही तो लिखा गया..
मैं एक क़तरा ही सही, मेरा वज़ूद तो है ।
हुआ करे ग़र, समुंदर मेरी तलाश में है ॥
Comment in any Indian Language even in English..
इन पोस्ट को चाक करती धारदार नुक़्तों का भी ख़ैरम कदम !!
Please avoid Roman Hindi, it hurts !
मातृभाषा की वाज़िब पोशाक देवनागरी है
Note: only a member of this blog may post a comment.