tag:blogger.com,1999:blog-2018512552827670142.post3424990873571152817..comments2023-04-13T14:44:36.920+05:30Comments on कुछ तो है.....जो कि ! *: जीवनदास को कड़ी से कड़ी सजा दी जायेडा. अमर कुमारhttp://www.blogger.com/profile/12658655094359638147noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-2018512552827670142.post-52358623953352487632009-05-21T05:00:30.170+05:302009-05-21T05:00:30.170+05:30निठल्लमस्य निठल्लमाय नम:
अरे भाया ये अपुन का देश...निठल्लमस्य निठल्लमाय नम: <br /><br />अरे भाया ये अपुन का देश अन्ग्र्जों के ज़माने से ’चहलते’ आ रिया है इन कोरट कचेहरियों मे . सब चलता है बिडु और चालूच रहेन्गा . क्या !<br /><br />आपुन के ’तडका’ पे सुझाव दिया बरोब्बर ! अपुन खुद परेशान है . साला फ़ोटू बडा और लिक्खा कमी दिखता हाय .अपन को अबी तक खाली लिखनाच मालूम .एक छोकरे को साइन बोर्ड वगैरे लगाने को बोला था .वो इतना बडा बोर्द लगाके गया कि छोटा कयिसा करने का और निकालने का कैसा अपुन का खोपडी मे नयिन आ रयेला है बाप !<br /><br />अबी बहोत लोग येयिच बोल रयेला है . कर्ता मैं कुछ तो .खुदीच करने मे डरेला है . साला बोर्ड के साथ आक्खा दूकान नयीं निकल जाये करके .<br /><br />आपका सब लिखेला बान्च रयेला हय .क्या लिख्ता हय आप बाप !RAJ SINHhttps://www.blogger.com/profile/01159692936125427653noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2018512552827670142.post-82573223588483264632009-05-18T16:20:00.000+05:302009-05-18T16:20:00.000+05:30मैं हमेशा कहता आया हूं कि अगर न्याय समय पर नहीं हो...मैं हमेशा कहता आया हूं कि अगर न्याय समय पर नहीं होता तो वह अन्याय है. हो सकता है कि जजों की कमी हो लेकिन मुकदमे की समय सीमा तय करने में कौन सी आफत आ रही थी जो वकीलों ने इसका पुरजोर विरोध किया.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2018512552827670142.post-18785021155344182352009-05-18T12:47:00.000+05:302009-05-18T12:47:00.000+05:30अब द्विवेदीजी भी मान गए तो हम क्या कहें !अब द्विवेदीजी भी मान गए तो हम क्या कहें !Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2018512552827670142.post-79689077691264086722009-05-18T11:58:00.000+05:302009-05-18T11:58:00.000+05:30्चलता रहे.. रुक गया तो कितने बेकार हो जायेगें..्चलता रहे.. रुक गया तो कितने बेकार हो जायेगें..रंजन (Ranjan)https://www.blogger.com/profile/04299961494103397424noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2018512552827670142.post-1889803067892674242009-05-18T11:04:00.000+05:302009-05-18T11:04:00.000+05:30ऐसे हालातों को देख कर भगवान् में यकीन और बढ़ जाते ह...ऐसे हालातों को देख कर भगवान् में यकीन और बढ़ जाते है.. वोही चला रहा है देश को वरना कोई और तो यहाँ मुझे दिखता नहींकुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2018512552827670142.post-9354946620849125462009-05-18T04:27:00.000+05:302009-05-18T04:27:00.000+05:30भारतीय न्याय-वयवस्था इतनी धीमी और लचर है कि, “ चलत...भारतीय न्याय-वयवस्था इतनी धीमी और लचर है कि, “ चलता रहे… चलता रहे…. !<br />वाकई धीमी और लचर है। मेरे इकतीस वसंत यहाँ गुजर चुके हैं। जिन मुकदमों को 1979 में शुरु किया था, वे आज तक पहली अदालत पार नहीं करवा सकता हूँ। बेगार और कर रहा हूँ। कुछ मुकदमों में दो दो दिनों से अधिक की पाँच पाँच बार अन्तिम बहस कर चुका हूँ। छठी बार भी कर दूंगा। पर निर्णय वह तो अदालत ही करेगी। इसीलिए कहता हूँ कि चार गुना अदालतें हों तो काम चले। अभी तो जो कायम हैं उन में जजों की नियुक्ति की लड़ाई बंगाल के वकील लड़ रहे हैं।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com