निबन्ध
ॐ
शीर्षक – डाक्टर दिवस
प्रस्तावना :- हमारा भारत एक महान देश है । भारत एक निराश कृषकप्रधान देश भी है । भारतवर्ष को एक दिवस-प्रधान देश भी कहा जा सकता है । हमारे देश में समारोहों की बहुतायत है । भारतवर्ष में नित नये नये दिवस और समारोह मनते देखे जा सकते हैं । उदाहरण के लिये:- स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, बाल दिवस, शिक्षक दिवस, हिंदी दिवस, सैनिक दिवस, यह दिवस-वह दिवस इत्यादि । इसी प्रकार भारतवर्ष में हर वर्ष एक जुलाई को डाक्टर-दिवस भी मनाया जाता है । यह दिन डाक्टरों के आदर्शों और नैतिकता के जागरूकता दिवस के रूप में भी जाना जाता है
विषय-वस्तु :- हर वर्ष की भाँति इस वर्ष भी एक जुलाई को पूरे भारत में डाक्टर-दिवस जिसको डाक्टर्स-डे भी कहते हैं, मनाया जा रहा है । डाक्टर हमारे समाज के एक आवश्यक अंग हैं । इनके बिना किसी सभ्यता की कल्पना नहीं की जा सकती । इसीलिये एक जुलाई को डाक्टर-दिवस के रूप में मनाते हैं । एक जुलाई 1882 को हमारे देश के बिहार प्रान्त में स्थित पटना शहर मॆं डाक्टर बिधानचंन्द्र राय का जन्म हुआ था । मध्यमवर्ग के परिवार में जन्मे बिधानचन्द्र ने अपने परिश्रम एवं तीक्ष्णबुद्धि से मेडिकल के द्वितीय वर्ष से ही छात्रवृत्ति प्राप्त कर अपनी पढ़ाई पूरी करने में सफल रहे । डा० राय 1925 में राष्ट्रपिता गाँधी के सम्पर्क में आये, एवं राजनीति में भी सक्रिय हुये । वह एक सफ़ल डाक्टर, सफल प्राध्यापक, कलकत्ता के लोकप्रिय मेयर, सफल सांसद, जनता के चहेते मुख्यमंत्री सिद्ध होने के साथ ही अन्त तक एक सफल शल्यचिकित्सक रहे ।
23 जनवरी 1948 को वह पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री चुने गये । भुखमरी, साम्प्रदायिक दंगों, नये ज़िलों के गठन, आबादी की अदला बदली से संकटग्रस्त बंगाल का दायित्व उन्होंने कुशलतापूर्वक निभाया । वह इन्डियन मेडिकल काउंसिल ( IMA ) के संस्थापक सदस्य और प्रथम राष्ट्रीय-अध्यक्ष भी रहे । वह बहुआयामी कुशाग्रता की एक अनोखी मिसाल हैं । भारत के डाक्टर लोग उनको अपना आदर्श एवं पथप्रदर्शक मानते हैं ।
सारांश :- यह हमारे समाज में पाये जाने वाले डाक्टरों की सेवाओं को सम्मान देने का अवसर है । इस दिन हम लोग इन डाक्टरों के सेवाओं की सराहना में जश्न मनाते हैं । डाक्टर लोग भी समाज से सम्मानित न किये जाने की परवाह किये बिना, आपस में ही लड्डू-पेड़ा वगैरह मिल बाँट कर खाते हैं । कहीं कहीं पर तो भाषण और नाच-गाना भी होता है । एक दूसरे के गले मिलने की रस्म भी पूरी की जाती है । इस दिन गरीबों की सेवा और परस्पर एकता की कसमें खाने का रिवाज़ भी आजकल चल पड़ा है । कसम एक सुपाच्य भारतीय व्यंजन है, और हर तबके में बड़े चाव से उत्साह के साथ खाया जाता है । डाक्टर लोग भी अपनी डाक्टरी की शुरुआत, कसम खाकर ही करते हैं, जैसे सांसद या मंत्री वगैरह ।
उपसंहार :- अधिकांश दिवसों की परंपरा में डाक्टर्स-डे भी रखा जा सकता है । महान भारत के महान युगपुरुष पन्डित जवाहिरलाल नेहरू ने, नवभारत के निर्माण का इतिहास रचने के लिये कुछ दिवसों की परिकल्पना की । इसी क्रम में उनके साथ साथ कुछ अन्य व्यक्तियों के जन्मदिन को दिवसों के रूप में मनाना घोषित किया गया । इस प्रकार यह शिक्षक दिवस, डाक्टर-दिवस इत्यादि अपने आदर्शों को दोहराने, स्मरण करने से अधिक जन्म-समारोहों के रूप में मनाया जाता है । फलस्वरूप यह सभी दिवस इत्यादि जनता के हृदय से अधिक सामान्य ज्ञान की पुस्तकों में अपना स्थान रखते हैं । डाक्टर बी०सी० राय का निधन भी इसी तारीख़ को यानि एक जुलाई 1962 में हुआ था । अतः डाक्टर बी०सी० राय जयंती डाक्टर्स-डे के रूप में एक जुलाई को मनाये जाने का प्राविधान है । आओ, हम सब मिल कर उनके आदर्शों को दोहरायें.. और खूब उत्सव मनायें ।
----x----x----x----x--- श्री सरस्वत्याय नमः ---x---x---x---x---
8 टिप्पणी:
Happy Doctor's Day.
यानी, आप भी आ गए छोटे बक्से पर। देर से बताया अगले साल मना लेंगे। हमारे ससुर जी डाक्टर हीरालाल त्रिवेदी का जन्मदिन इसी रोज पड़ता है। हम हर साल उन्हें बधाई देते हैं और डाक्टर्स डे मन जाता है।
कसम एक सुपाच्य भारतीय व्यंजन है, और हर तबके में बड़े चाव से उत्साह के साथ खाया जाता है । डाक्टर लोग भी अपनी डाक्टरी की शुरुआत, कसम खाकर ही करते हैं,
ha ha ha soch ki udhaan waqayi achhi hai aapki
हमने तो कल ही मना लिया था सर जी...
डाक्टर-दिवस की हार्दिक बधाई. कल कहीं और की टिप्पणी आपके यहाँ लग गई थी सो अलग कर ली गई है. :)
बधाई डाक्टर दिवस की।
All good wishes to you on Doctors' day -
डॉक्टर दिवस की शुभकामनाएं...विधानचंद्र राय सचमुच महान व्यक्ति थे.
लगे हाथ टिप्पणी भी मिल जाती, तो...
जरा साथ तो दीजिये । हम सब के लिये ही तो लिखा गया..
मैं एक क़तरा ही सही, मेरा वज़ूद तो है ।
हुआ करे ग़र, समुंदर मेरी तलाश में है ॥
Comment in any Indian Language even in English..
इन पोस्ट को चाक करती धारदार नुक़्तों का भी ख़ैरम कदम !!
Please avoid Roman Hindi, it hurts !
मातृभाषा की वाज़िब पोशाक देवनागरी है
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