भइया बड़ी कुत्ती चीज है, यह एच०टी०एम०एल० का खेला, यह तो पूरी हाकी है , इसमें क्रिकेट बाई चांस एंड विन बाई लक की कोई ग़ुंज़ाइश नहीं लहा सकते, भाय ! यह हाकी नहीं,कि पदो भी अउर जीतो भी ! दरअसल हुआ यह कि कुछ जलने वाले विद्ध्वंसकारी तत्व हमारे कुछ तो है...जो कि ! को अपहृत करने में कामयाब हो गये , गूगल बाबा खौखिया कर दौड़े ' यू हैव नो एडमिनिस्ट्रेटिव राइट्स ! ' हेल्प में गये तो उनको लगा कि बहुत दिन बाद कोई फंसा है, रात भर हमको रगड़ते रहे, कभी इहाँ- कभी उहाँ ! चंद्रकांता संतति की तरह एक लिंक से दूसरे फिर तीसरे फिर अनगिनत लिंक पर दौड़ाते रहे, बार बार रुक कर पूछ भी लेते 'आर यू सैटिस्फाइड ?' फिलहाल हमरे ब्लागिंग को रोटी कपड़ा वही देते रहे हैं सो कसमसा कर झेलते रहे उनकी पिंगल ! करइ बिचार करौं का भाई की तर्ज़ पर मेरा सोच विचार दो तीन दिन चलता रहा फिर तय किया कि अपना स्वयं का डोमेन होना चाहिये। सो, पड़ताल में लग गया लेकिन कोई पट्ठा 15-1600 रुपये साल से कम में राज़ी होके न दिया । दूसरे यह भी डर था कि पंडिताइन ने कहीं आडिट में पकड़ लिया तो यह कम्प्यूटरवा भी सीज़ हो जायेगा । लिहाज़ा तय किया चलो एक गुहार मदद की लगायी जाय ताकि सनद रहे, ई ल्लेयो ! एकदम चुप्पी छा गयी जइसे हमने गब्बर दिखाय दिया ब्लागरन को , पंद्रह कोस में पसरा सन्नाटा ! और भी भकुए हैं ब्लागरन में-हमारे सिवा गुनता गुनगुनाता बरहा पर टाइमपास कर रहा था कि हम होंगे कामयाब दिख गये, बस ठान लिया खुद्दै बनायेंगे हैकरसेफ अपने 'जो कुछ' को , कोसिस करने से का नहिं होता ! ई एचटीएमएल सरवा कौनो हौव्वा थोड़े है ? बिगड़ेगा तो बिगड़ जाय, कुछ दिन नहीं लिखेंगे अउर का ! अइसे भी तुमको पढ़बे कौन करता है ? ई स्साला कुछ तो है..., इतनी बड़ी मानसिक हलचल थोड़े ही है, कि भाईलोग आँख खुलते ही जंभुआते हुए मेरा हलचल टटोलने लगेंगे । उनको संडास जाने, मंजन कुल्ला करने की मोहलत तो दो, तुम तब तक चटपट एचटिमिया लो, दुकान का शो चौंचक होना चाहिये ताकि भौंचक कमेन्ट बटोरो । शुरु हो जाओ ..
यहाँ तो सिर मुड़ाते ही ओलों की बरसात होय रही, अपना बैडलक ही खराब है । चलें आगे देखें का है?
क्या करियेगा ? जब इतना ब्लागर शिरोमणि बनने को लहटिया रहे हैं तो विंडोज़ के चूतियापे भी झेलिये ।
अब तो संतोष हो गया कि हम कुछ नहीं कर पायेंगे, तो हम तो शुरु हैं,कुछ तो है... जो कि ! * यहाँ देखें
तो अब चलने दीजिये, यहाँ बहुत बेइज़्ज़ती हो रहा है, और वहाँ भी काम पड़ा है । सर्वव्यापी चूतियापों में यह निट्ठल्ली पोस्ट शामिल करके डिसमिस मत करियेगा । पढ़ें हैं तो बोलने में क्या हर्ज़ है ? नमस्कार !
2 टिप्पणी:
आप का तजुर्बा सभी को हुआ होगा। हो जाए सब मटियामेट तो मिटा दो फिर पहुँच जाओ वहीं जहाँ से चले थे। पहले हमने ही बनाया था। फिर बना लेंगे।
धन्यवाद मित्र,
इस ब्लागर आबादी में, आपकी उपस्थिति से कम से कम इसके जीवंत होने का प्रमाण तो मिलता है ।
लगता है आपकी दृष्टि चहूँ ओर व्याप्त है,साधुवाद !
लगे हाथ टिप्पणी भी मिल जाती, तो...
जरा साथ तो दीजिये । हम सब के लिये ही तो लिखा गया..
मैं एक क़तरा ही सही, मेरा वज़ूद तो है ।
हुआ करे ग़र, समुंदर मेरी तलाश में है ॥
Comment in any Indian Language even in English..
इन पोस्ट को चाक करती धारदार नुक़्तों का भी ख़ैरम कदम !!
Please avoid Roman Hindi, it hurts !
मातृभाषा की वाज़िब पोशाक देवनागरी है
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