काकवचनम - द्वितीय प्रश्नः
यदा पक्षदण्डे अग्निकोणो ' का का 'शब्दम । रटति काकस्तदा शोकवार्ता कथयति ॥ ऊर्ध्वमुखी वा रटति तदा दूरदेशतः । पुत्रतो शोकवार्ता कथयति ॥
दो घड़ी दिन में अग्निकोण की तरफ कौव्वा ' काँव-काँव 'शब्द करे तो शोक उपस्थित होगा । परन्तु जब ऊपर मुख करके बोले, तो दूरदेश से शोक-समाचार आयेगा । यदि नीचे की तरफ मुख करके काक शब्द करे तो पुत्र से शोक होगा, ऎसा समझो ।
समयाभाव के कारण काक महोदय कुछेक काल के बाद दर्शन दे रहे हैं । यह तीस प्रश्नोत्तरी का संकलन वस्तुतः श्री हनुमङ्ज्यौतिषं प्रश्नफलकथनं से साभार लिया गया है, एवं अब नियमित देने का प्रयास रहेगा ।
1 टिप्पणी:
नगरों में तो काकदर्शन ही दुर्लभ हैं।
लगे हाथ टिप्पणी भी मिल जाती, तो...
जरा साथ तो दीजिये । हम सब के लिये ही तो लिखा गया..
मैं एक क़तरा ही सही, मेरा वज़ूद तो है ।
हुआ करे ग़र, समुंदर मेरी तलाश में है ॥
Comment in any Indian Language even in English..
इन पोस्ट को चाक करती धारदार नुक़्तों का भी ख़ैरम कदम !!
Please avoid Roman Hindi, it hurts !
मातृभाषा की वाज़िब पोशाक देवनागरी है
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