क्षमा करें या छोड़िये क्षमा नहीं माँगता, ज़रा आप ही सहायता कर दें ! जरा बतायें कि इस पोस्ट का उचित शीर्षक क्या होना चाहिये था , नंगे सच की माया या माया का नंगा सच ? जो भी हो, आपके दिये शीर्षक में एकठो नंगा अवश्य होना चाहिये, वरना आपको भी मज़ा नहीं आयेगा ! वैसे राजनीति पर कुछ कहने से मैं बचता हूँ । एक बार संविद वाले चौधरी के बहकावे में, मै ' अंग्रेज़ी हटाओ ' में कूद पड़ा था, अज़ब थ्रिल था, काले से साइनबोर्ड पोतने का ! लेकिन इस बात पर, मेरे बाबा ने अपने इस चहेते पोते को धुन दिया था, पूरे समय उनके मुँह से इतना ही निकलता था, "भले खानदान के लड़के का बेट्चो ( किसी विशेष संबोधन का संक्षिप्त उच्चारण, जो तब मुझे मालूम भी न था ) पालिटिक्स से क्या मतलब ? " यह दूसरी बार पिटने का सौभाग्य था, पहली बार तो अपने नाम के पीछे लगे श्रीवास्तव जी से पिंड छुड़ाने पर ( वह कहानी, फिर कभी ) तोड़ा गया था । खैर....
आज़ तो सुबह से माथा सनसना रहा है, लगा कि बिना एक पोस्ट ठेले काम नहीं चलेगा, सो ज़ल्दी से फ़ारिग हो कर ( अपने काम से ) यहाँ पहुँच गया । पीछा करते हुये पंडिताइन भी आ धमकीं, हाथ में छाछ का एक बड़ा गिलास ( मेरी दोपहर की खोराकी ! ) ,तनिक व्यंग से मुस्कुराईं, " फिर यहाँ, जहाँ कोई आता जाता नहीं ? " बेइज़्ज़त कर लो भाई, अब क्या ज़वाब दूँ मैं तुम्हारे सवाल का ? अब थोड़ी थोड़ी ब्लागर बेशर्मी मुझमें भी आती जारही है, पाठकों का अकाल है, तो हुआ करे ! ज़ब भगवान ने ब्लागर पैदा किया है, तो पाठक भी वही देगा , तुमसे मतलब ? आज़ तो लिख ही लेने दो कि सुश्री मायावती, नेहरू गाँधी के बाथरूम में मिलीं ! कभी कभी यह पंडिताइन बहुत तल्ख़ हो जाती हैं,' जूता खाओगे, पागल आदमी !' और यहाँ से टल लीं । मुझको राहुल बेटवा या मायावती बहन से क्या लेना देना, लेकिन यह लोकतंत्र का तीसरा खंबा मायावती की मायावी माया में टेढ़ा हुआ जा रहा है, इसको थोड़ा अपनी औकात भर टेक तो लूँ, तुम जाओ अपना काम करो ।
मुझसे यानि एक आम आदमी से क्या मतलब, कि राहुल अपने घर में इंपीरियल लेदर से नहाते हैं या रेहू मट्टी से ? चलो हटाओ, बात ख़त्म करो, हमको इसी से क्या मतलब कि वह नहाते भी हैं या नहीं ? हुँह, खुशबूदार साबुन बनाम लोकतंत्र ! लोकतंत्र ? मुझे तो लोकतंत्र का मुरब्बा देख , वैसे भी मितली आती है, किंन्तु ... !
आज़ सुबह के हिंदुस्तान में मुखपृष्ठ की ख़बर है, यह तो ! आख़िर अपनी गौरा दीदी ( शिवानी ) की बिटिया मृणाल पांडे ने छापा है, नवीन जोशी साहब ने भी इसकी तस्दीक कर इशारा किया होगा, जानेदो की हरी झंडी दी होगी, तभी तो ! भला, मैं जूता क्यों खाऊँगा ? तुमने ही तो कल ईटीवी-उत्तर प्रदेश पर देख कर बताया था ।
सुश्री मायावती का सार्वज़निक बयान कि " यह राजकुमार, दिल्ली लौटकर ख़सबूदार ( मायावती उच्चारण !! ) साबुन से नहाता है ।" मेरी सहज़ बुद्धि तो यही कहती है, बिना राहुल के बाथरूम तक गये , ई सबुनवा की ख़सबू उनको कहाँ नसीब होय गयी ? अच्छा चलो, कम से कम उहौ तो राहुल से सीख लें कि दिन भर राजनीति के कीचड़ में लोटने के बाद, कउनो मनई खसबू से मन ताज़ा करत है, तो पब्लिकिया का ई सब बतावे से फ़ायदा ? दलितन का तुमहू पटियाये लिहो, तो वहू कोसिस कर रहें हैं ! दलित कउन अहिं, हम तो आज़ तलक नही जाना । अगर उई इनके खोज मा घरै-घर डोल रहे है, तौ का बेज़ा है ?
माफ़ करना बहिन जी, चुनाव के बूचड़खाने में दलित तो वह खँस्सीं है, वह पाठा है, कि जो मौके पर गिरा ले जाय, उसी की चाँदी ! दोनों लोग बराबर से पत्ती, घास दिखाये रहो । जिसका ज़्यादा सब्ज़ होगा, ई दलित कैटेगरी का वोट तो उधर ही लपकेगा । ई साबुन-तेल तो आप अपने लिये सहेज कर रखो, आगे काम आयेगा । पता नहीं कब चुनाव पर्व का नहान डिक्लेयर हो जाये ?
एक कुँवारी-एक कुँवारा ! बेकार में, काहे को खुल्लमखुल्ला तकरार करती हो ? भले मोस्ट हैंडसम के गालों के गड्ढे में आप डूब उतरा रही हो, लेकिन पब्लिकिया को बख़्स दो । सीधे मतलब की बात पर आओ, हम यानि पब्लिक मदद को हाज़िर हैं । ई साबुन-तौलिया वाला नंगा सच, तुम्हारे लिये भले हो किंतु हमरी बिरादरी तो इसे कुरूप झूठ मान रही है । ब्लागर वोट बैंक को कम करके मत आँकों, सुश्री बहिन जी !
राहुल के तरफ़दार अगर अपने बयान में जड़ दें कि हैंडसम की फोटू तुम्हरे बेडरूम के सिंरहाने पर लगी है, तो ? सोनिया बुआ, आख़िर ऎसे ही तो नहीं गुनगुना रहीं होंगी, " मेरा लउँडा होआ बैडनेम, नसीबन तिरे लीये...ऽ ..ऽ
अजी बहुत हो गया, छोड़िये भी । तो फिर, मैं भी चलता हूँ, नमस्कार !
2 टिप्पणी:
जे बात...बहुत ही अच्छा लिखत रहे हो... बहनजी की जय...यह पोलिटिक्स है बंधू कौन किसे छोड़ता है...जब देखो लपेट लिया जाता है...
aapka comnt padh ke aapki taraf aana hua...kafi bhara-poora hai aapka webpage...word verification wali aapki shikayat door kar dunga....guzarish itni hai ki naya navela blogger hu isliye yun hi guide karte rahe...Fir milte hain...
लगे हाथ टिप्पणी भी मिल जाती, तो...
जरा साथ तो दीजिये । हम सब के लिये ही तो लिखा गया..
मैं एक क़तरा ही सही, मेरा वज़ूद तो है ।
हुआ करे ग़र, समुंदर मेरी तलाश में है ॥
Comment in any Indian Language even in English..
इन पोस्ट को चाक करती धारदार नुक़्तों का भी ख़ैरम कदम !!
Please avoid Roman Hindi, it hurts !
मातृभाषा की वाज़िब पोशाक देवनागरी है
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