जो इन्सानों पर गुज़रती है ज़िन्दगी के इन्तिख़ाबों में / पढ़ पाने की कोशिश जो नहीं लिक्खा चँद किताबों में / दर्ज़ हुआ करें अल्फ़ाज़ इन पन्नों पर खौफ़नाक सही / इन शातिर फ़रेब के रवायतों का  बोलबाला सही / आओ, चले चलो जहाँ तक रोशनी मालूम होती है ! चलो, चले चलो जहाँ तक..

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13 January 2009

इतना विशाल देश.. क्या अकेले मेरे बस में ?

Technorati icon

हरतरफ़ चर्चा है, कि देश मुसीबत में हैं, आतंकी इसे रौंद रहे हैं, घोटाले इसे लील रहे हैं ! सत्यम भी आख़िरकार असत्यम साबित हो रहा है ।  अब, भला आप ही बताइये, मैं अकेला क्या कर सकता हूँ ?  कल जोड़ने बैठा तो .. देश की आबादी निकली : 100 करोड़
जिसमें 9 करोड़ तो सेवानिवृत हैं, जिनसे शायद ही कोई उम्मीद हो

ATT00001

e2285 नौकरीपेशा वर्ग में केन्द्रीय कर्मचारी ठहरे 17 करोड़ और राज्य कर्मचारी हैं 30 करोड़

इनमें शायद ही कोई काम करता हो ?

और.. हमारे यहाँ हैं 1 करोड़ आई० टी० प्रोफ़ेशनल !ATT00002 

इनमें अपने देश के लिये कौन काम करता है, जी ?

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18 करोड़ तो बेचारे अभी स्कूलों में ही हैं, इनसे क्या होना है ?

 happy_feet इन 8 करोड़ दुधमुँहों को, जो अभी 5 वर्ष भी पार नहीं कर पायें हैं..तो अलग ही रखिये !

यह 15 करोड़ बेरोज़ग़ार अपनी ही चिन्ता में हैं… ATT00005 देश के लिये…  बाद में देखा जायेगा !

ATT00006 और यह 1.2  करोड़ बीमार तो अस्पतालों में कभी  भी  देखे जा सकते हैं, आतंकवादी इन्हें भले न बख़्शें, पर यह बेचारे अभी कुछ करने लायक ही नहीं हैं , सो इनको तो आप फ़िलहाल बख़्श ही दो !

जरा जोड़िये तो... कितने हुये ?  98 करोड़.. ठीक !
अब...हमरी न मानों,तो दिनेशराय द्विवेदी जी से पूछो, funny-animated-gif-004                                                                                      पिछले माह तक 79,99,998  विचाराधीन या सज़ायाफ़्ता ज़ेलों में थे !

बचे केवल दो व्यक्ति.. यानि कि आप और हम !

आप तो इस समय मेरी पोस्ट पर टिप्पणी करने जा रहे हो, और... मैं ? mail (2)

मैं समझ नहीं पा रहा हूँ कि,  चल के आपकी पोस्ट पर टिप्पणी चुकता करूँ avatar247_0                

या देश की चिन्ता करूँ ? यही तो रोना है.. कि, इतना विशाल देश.. क्या अकेले मेरे बस में है ?

15 टिप्पणी:

Anonymous का कहना है

ओह!! कितना बोझ आन पड़ा है आपके नाजुक से कंधो पर. काश, मैं टिप्पणी न कर रहा होता तो आपका बोझ जरुर बंटाने चला आता मगर आप तो मेरी मजबूरी समझ रहे हो. :)

Anonymous का कहना है

आप क्यूँ इतना परेशान हैं, अजदक भाई कह गये हैं कि देश सही जा रहा है ।
http://azdak.blogspot.com/2008/03/blog-post_18.html

Anonymous का कहना है

सच में हम और आप दोनों इस देश का गुरुतर भार अपने कंधों पर उठाये हुये हैं

Anonymous का कहना है

... और मेरी तो जुकाम से बुरी हालत है सो बचे अकेले आप.
डाकसाब, सभालना जरा, एईसा..:)

Anonymous का कहना है

बड़ा हिसाब किताब करना पड़ा होगा आपको.
कम से कम आप तो देश की चिन्ता करते रहिये - निठल्ले कहीं के.

Anonymous का कहना है

अभी वे सत्रह करोड़ बाकी हैं जो 100 करोड़ के आंकड़े के बाद पैदा हुए हैं।

Anonymous का कहना है

च्च ..च्च ..
हमेँ भी अब भारी चिँता होने लगी है
बाबू अमर मोशाय :)
पर इत्ते काम मेँ भी
आप टीप्पणी करेँगेँ
(हमारे जाल घर पर)
तो बडी खुशी होगी -
अग्रिम धन्यवाद ,
-लावण्या

Anonymous का कहना है

भैय्या यह तो वही बैलगाडी के नीचे चलते कुत्ते की सोच हो गई. क्षमा हमने आपको संबोधित नहीं किया. इस पोस्ट को बनने में काफ़ी परिश्रम करना पड़ा होगा इसीलिये सुंदर भी बन पड़ा है. आभार.

Anonymous का कहना है

sir apki math achi hai. acha laga.

Anonymous का कहना है

लाहोल विला कूवत..
अब क्या देश भी हम चलाएँगे??? तौबा तौबा

इस काम के लिए तो भगवान अपायंट किए गये है.. उन्ही के भरोसे देश चलता रहेगा.. आइए आप और हम एक दूसरे के ब्लॉग पर टीपियाए...

Anonymous का कहना है

अच्छा हिसाब -किताब कर रक्खा है । :( :)

Anonymous का कहना है

सबकुछ ठीक हो जायेगा. थोड़ा धीरज धरें. कंधे उचक दीजिये.

Anonymous का कहना है

इ कौन कम्बखत देश की चिंता कर रहा है..........कौन है बगावत करने वाला .......सामने पेश किया जाये

Anonymous का कहना है

सचमुच बेबस हैं हम आप और सभी !

Anonymous का कहना है


@ Neeraj Rohilla ji अब इसके लिये तो सुपर अज़दकीय भेजा चाहिये होगा, न ?
@ समीर भाई अच्छा तो 51 बहानों के प्रयोग की शुरुआत हो गयी ?
@ मैथिली भाई भाई, अक्खा कंट्री को ज़ुकाम होयेला है, नाक कान बंद दिमाग ठस्स ! अपुन बरोबर बोला न, भाई ?
@ हिमांशु और.. देश की चिन्ता् निट्ठल्ले तो करवे करें हैं, हिमांशु जी ! दालरोटी वाले पिस रहे हैं !
@ दिनेशराय जी बाकी सत्रह करोड़ का डाटा आडिटर झनरल के दफ़्तर से आना प्रतीक्षित है !
@ Prabhat Goyal छोड़ो यार, मैथ अच्छी होती.. तो ब्लाग लिख रहा होता, अबतक कई घोटाले करके ऎश छन रही होती !
@ P.N.Subramaniam Ji आपका अनौपचारिक संबोधन.. मेरा सौभाग्य ! मैं इसीमें विश्वास रखता हूँ !
@ भाई कुश सच है, हम रामभरोसेस्थान में ही निवास कर रहे हैं !
@ ममता ज़ह-ए-किस्मत !
@ लावण्या दीदी ऎई रकोम बोलून ना दीदी, आमि सोब सोमय शुधु टीप दिच्छी, आपनी के !
@ शिवभाई ओह, ये कंधे तो दबे हुये हैं.. थोड़ा हाथ लगाकर आप ही उचकाने में मदद करो न, शिवभाई ?

लगे हाथ टिप्पणी भी मिल जाती, तो...

आपकी टिप्पणी ?

जरा साथ तो दीजिये । हम सब के लिये ही तो लिखा गया..
मैं एक क़तरा ही सही, मेरा वज़ूद तो है ।
हुआ करे ग़र, समुंदर मेरी तलाश में है ॥

Comment in any Indian Language even in English..
इन पोस्ट को चाक करती धारदार नुक़्तों का भी ख़ैरम कदम !!

Please avoid Roman Hindi, it hurts !
मातृभाषा की वाज़िब पोशाक देवनागरी है

Note: only a member of this blog may post a comment.

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यह अपना हिन्दी ब्लागजगत, जहाँ थोड़ा बहुत आपसी विवाद चलता ही है, बुद्धिजीवियों का वैचारिक मतभेद !

शुक्र है कि, सैद्धान्तिक सहमति अविष्कृत हो जाते हैं, और यह ज़्यादा नहीं टिकता, छोड़िये यह सब, आगे बढ़ते रहिये !

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