हमारे कैफ़ भाई व्यापार करने उतरे ,
सबको पछाड़ बाज़ार पर कब्ज़ा करने की ग़रज़ से अंडों के बिजिनेस में एक अनोखा प्रयोग किया । वह दो रुपये के भाव से अंडे ख़रीदते और पौने दो रुपये के भाव बेचते । व्यापार चल निकला, सभी उनके मुरीद ! देखते ही देखते वह एक साल में ही वह लखपति हो गये !
भला कैसे ? और उन्होंने बिजिनेस लाईन से तोबा भी कर ली , यह क्यों ?
प्रयास करें, ज़वाब एकदम साफ़ है ।
2 टिप्पणी:
डागदर बाबू, इन कैफ साब की दूकान कहां है?
कुछ अप्पन भी ले आयेंगे
बिचारे केफ़ साहब पहले करोड्पति थे अन्डे बेच कर एक साल मे लखपति हो गे
लगे हाथ टिप्पणी भी मिल जाती, तो...
जरा साथ तो दीजिये । हम सब के लिये ही तो लिखा गया..
मैं एक क़तरा ही सही, मेरा वज़ूद तो है ।
हुआ करे ग़र, समुंदर मेरी तलाश में है ॥
Comment in any Indian Language even in English..
इन पोस्ट को चाक करती धारदार नुक़्तों का भी ख़ैरम कदम !!
Please avoid Roman Hindi, it hurts !
मातृभाषा की वाज़िब पोशाक देवनागरी है
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