आदिशक्ति के विद्यास्वरूप को नवबसंत की संध्या पर बारंबार नमस्कार है । ' जय हो जय हो '
इस आवाह्नन मंत्र के साथ आप सब ब्लागरवृंद को बसंतोत्सव का हार्दिक अभिनंदन !
बसंत का पूर्ण उत्कर्ष आज हम सब के टूलटिप पर भी छाया है, सरस्वति स्तुति पर कर्सर फिरा कर इसका साक्ष्य ले लें और संकल्पित हों कि हिंदी ब्लागिंग को भी इसी शिखर पर, इसी खिले खिले रूप में निखारना है । हम आप, लेखक पाठक सभी के समवेत प्रयास इसको अवश्य ही संभव कर सकेंगे । अमर
श्री अशफाक उल्ला खां – मैं मुसलमान तुम काफिर ?
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इस तरह की अपनी कुर्बानियों से वतन की मिट्टी – पानी का कर्ज़ अदा करने
वाले सिरफिरे मतवालों में श्री बिस्मिल के बाद अशफ़ाक़ उल्ला खाँ का ही नाम
आता है...
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लगे हाथ टिप्पणी भी मिल जाती, तो...
जरा साथ तो दीजिये । हम सब के लिये ही तो लिखा गया..
मैं एक क़तरा ही सही, मेरा वज़ूद तो है ।
हुआ करे ग़र, समुंदर मेरी तलाश में है ॥
Comment in any Indian Language even in English..
इन पोस्ट को चाक करती धारदार नुक़्तों का भी ख़ैरम कदम !!
Please avoid Roman Hindi, it hurts !
मातृभाषा की वाज़िब पोशाक देवनागरी है
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