जो इन्सानों पर गुज़रती है ज़िन्दगी के इन्तिख़ाबों में / पढ़ पाने की कोशिश जो नहीं लिक्खा चँद किताबों में / दर्ज़ हुआ करें अल्फ़ाज़ इन पन्नों पर खौफ़नाक सही / इन शातिर फ़रेब के रवायतों का  बोलबाला सही / आओ, चले चलो जहाँ तक रोशनी मालूम होती है ! चलो, चले चलो जहाँ तक..

पोस्ट सदस्यता हेतु अपना ई-पता भेजें



NO COPYRIGHT यह पृष्ठ एवं इस ब्लाग पर प्रकाशित सम्पूर्ण सामग्री कापीराइट / सर्वाधिकार से सर्वथा मुक्त है ! NO COPYRIGHT टेम्पलेट एवं अन्य सुरक्षा कारणों से c+v नकल-चिप्पी सुविधा को अक्षम रखा गया है ! सर्वाधिकार मुक्त पृष्ठ सुधीपाठक पूर्ण आलेख अथवा उसके अंश को जानकारी के प्रसार हेतु किसी भी प्रकार से उपयोग करने को स्वतंत्र हैं ! यह पृष्ठ एवं इस ब्लाग पर प्रकाशित सम्पूर्ण सामग्री कापीराइट / सर्वाधिकार से सर्वथा मुक्त है ! NO COPYRIGHT टेम्पलेट एवं अन्य सुरक्षा कारणों से c+v नकल-चिप्पी सुविधा को अक्षम रखा गया है ! सर्वाधिकार मुक्त पृष्ठ सुधीपाठक पूर्ण आलेख अथवा उसके अंश को जानकारी के प्रसार हेतु किसी भी प्रकार से उपयोग करने को स्वतंत्र हैं ! यह पृष्ठ एवं इस ब्लाग पर प्रकाशित सम्पूर्ण सामग्री कापीराइट / सर्वाधिकार से सर्वथा मुक्त है ! NO COPYRIGHT टेम्पलेट एवं अन्य सुरक्षा कारणों से c+v नकल-चिप्पी सुविधा को अक्षम रखा गया है ! सर्वाधिकार मुक्त पृष्ठसुधीपाठक पूर्ण आलेख अथवा उसके अंश को जानकारी के प्रसार हेतु किसी भी प्रकार से उपयोग करने को स्वतंत्र हैं ! यह पृष्ठ एवं इस ब्लाग पर प्रकाशित सम्पूर्ण सामग्री कापीराइट / सर्वाधिकार से सर्वथा मुक्त है !NO COPYRIGHT टेम्पलेट एवं अन्य सुरक्षा कारणों से c+v नकल-चिप्पी सुविधा को अक्षम रखा गया है ! सर्वाधिकार मुक्त पृष्ठ सुधीपाठक पूर्ण आलेख अथवा उसके अंश को जानकारी के प्रसार हेतु किसी भी प्रकार से उपयोग करने को स्वतंत्र हैं ! यह पृष्ठ एवं इस ब्लाग पर प्रकाशित सम्पूर्ण सामग्री कापीराइट / सर्वाधिकार से सर्वथा मुक्त है ! NO COPYRIGHT टेम्पलेट एवं अन्य सुरक्षा कारणों से c+v नकल-चिप्पी सुविधा को अक्षम रखा गया है ! सर्वाधिकार मुक्त पृष्ठ सुधीपाठक पूर्ण आलेख अथवा उसके अंश को जानकारी के प्रसार हेतु किसी भी प्रकार से उपयोग करने को स्वतंत्र हैं ! यह पृष्ठ एवं इस ब्लाग पर प्रकाशित सम्पूर्ण सामग्री कापीराइट / सर्वाधिकार से सर्वथा मुक्त है ! NO COPYRIGHT टेम्पलेट एवं अन्य सुरक्षा कारणों से c+v नकल-चिप्पी सुविधा को अक्षम रखा गया है ! सर्वाधिकार मुक्त पृष्ठ सुधीपाठक पूर्ण आलेख अथवा उसके अंश को जानकारी के प्रसार हेतु किसी भी प्रकार से उपयोग करने को स्वतंत्र हैं !सर्वाधिकार मुक्त वेबपृष्ठ

NO COPYRIGHT यह पृष्ठ एवं इस ब्लाग पर प्रकाशित सम्पूर्ण सामग्री कापीराइट / सर्वाधिकार से सर्वथा मुक्त है ! NO COPYRIGHT टेम्पलेट एवं अन्य सुरक्षा कारणों से c+v नकल-चिप्पी सुविधा को अक्षम रखा गया है ! सर्वाधिकार मुक्त पृष्ठ सुधीपाठक पूर्ण आलेख अथवा उसके अंश को जानकारी के प्रसार हेतु किसी भी प्रकार से उपयोग करने को स्वतंत्र हैं ! यह पृष्ठ एवं इस ब्लाग पर प्रकाशित सम्पूर्ण सामग्री कापीराइट / सर्वाधिकार से सर्वथा मुक्त है ! NO COPYRIGHT टेम्पलेट एवं अन्य सुरक्षा कारणों से c+v नकल-चिप्पी सुविधा को अक्षम रखा गया है ! सर्वाधिकार मुक्त पृष्ठ सुधीपाठक पूर्ण आलेख अथवा उसके अंश को जानकारी के प्रसार हेतु किसी भी प्रकार से उपयोग करने को स्वतंत्र हैं ! यह पृष्ठ एवं इस ब्लाग पर प्रकाशित सम्पूर्ण सामग्री कापीराइट / सर्वाधिकार से सर्वथा मुक्त है ! NO COPYRIGHT टेम्पलेट एवं अन्य सुरक्षा कारणों से c+v नकल-चिप्पी सुविधा को अक्षम रखा गया है ! सर्वाधिकार मुक्त पृष्ठसुधीपाठक पूर्ण आलेख अथवा उसके अंश को जानकारी के प्रसार हेतु किसी भी प्रकार से उपयोग करने को स्वतंत्र हैं ! यह पृष्ठ एवं इस ब्लाग पर प्रकाशित सम्पूर्ण सामग्री कापीराइट / सर्वाधिकार से सर्वथा मुक्त है !NO COPYRIGHT टेम्पलेट एवं अन्य सुरक्षा कारणों से c+v नकल-चिप्पी सुविधा को अक्षम रखा गया है ! सर्वाधिकार मुक्त पृष्ठ सुधीपाठक पूर्ण आलेख अथवा उसके अंश को जानकारी के प्रसार हेतु किसी भी प्रकार से उपयोग करने को स्वतंत्र हैं ! यह पृष्ठ एवं इस ब्लाग पर प्रकाशित सम्पूर्ण सामग्री कापीराइट / सर्वाधिकार से सर्वथा मुक्त है ! NO COPYRIGHT टेम्पलेट एवं अन्य सुरक्षा कारणों से c+v नकल-चिप्पी सुविधा को अक्षम रखा गया है ! सर्वाधिकार मुक्त पृष्ठ सुधीपाठक पूर्ण आलेख अथवा उसके अंश को जानकारी के प्रसार हेतु किसी भी प्रकार से उपयोग करने को स्वतंत्र हैं ! यह पृष्ठ एवं इस ब्लाग पर प्रकाशित सम्पूर्ण सामग्री कापीराइट / सर्वाधिकार से सर्वथा मुक्त है ! NO COPYRIGHT टेम्पलेट एवं अन्य सुरक्षा कारणों से c+v नकल-चिप्पी सुविधा को अक्षम रखा गया है ! सर्वाधिकार मुक्त पृष्ठ सुधीपाठक पूर्ण आलेख अथवा उसके अंश को जानकारी के प्रसार हेतु किसी भी प्रकार से उपयोग करने को स्वतंत्र हैं !सर्वाधिकार मुक्त वेबपृष्ठ

19 March 2008

अथ् श्री काकचरितम् - 1

Technorati icon

काकचरितम- बाई अमर                                                                             कव्वे बेचारे को लोग अपनी छत की मुंडेर पर बैठने तक नहीं देते और यहाँ उनके चरित का बखान किया जा रहा है । भई, क्या बात है ? डाक्टर सनक गया है ! हो सकता है आप ठीक समझ रहें हों । फ़ुरसतिया,ठेलुआ,पखेरू जैसी अनवरत श्रेणियों में इस निट्ठल्ले का क्या काम ? अब आये हो तो झेल लो ।

काकस्य चरितं वक्ष्ये यथोक्तं मुनिभाषितम । यस्य विज्ञानमात्रेण सर्वतत्वं लभेन्नरः ॥

अर्थात - किसी समय नागराज ने अर्जुन से पूछा कि, महाराज ! काकभाषा से शुभ और अशुभ फल किस रीति से जान पड़ता है ? तब सर्पराज का प्रश्न सुन, अर्जुन बोले कि, हे सर्पराज ! काक का चरित्र विस्तार पूर्वक कहते हैं, सुनिये । दिन के घड़ी के प्रमाण से ही काक की बोली सुनी जाती है, एवं उसी से शुभाशुभ फल का विचार जाना जाता है । जिसका विचार मुनियों ने किया है, वह विस्तारपूर्वक कहते हैं । जारी....

2 टिप्पणी:

Anonymous का कहना है

भाई अभी तो दुकान का बोर्ड लगा है। आगे देखते हैं क्या,क्या माल आता है। मगर इस जमाने में जब उल्लुओं पर बात हो रही है तो काक क्यों उपेक्षा भुगते।
कथा जारी रहे......

Anonymous का कहना है

इंतजार है आगे की कथा का!

लगे हाथ टिप्पणी भी मिल जाती, तो...

आपकी टिप्पणी ?

जरा साथ तो दीजिये । हम सब के लिये ही तो लिखा गया..
मैं एक क़तरा ही सही, मेरा वज़ूद तो है ।
हुआ करे ग़र, समुंदर मेरी तलाश में है ॥

Comment in any Indian Language even in English..
इन पोस्ट को चाक करती धारदार नुक़्तों का भी ख़ैरम कदम !!

Please avoid Roman Hindi, it hurts !
मातृभाषा की वाज़िब पोशाक देवनागरी है

Note: only a member of this blog may post a comment.

MyFreeCopyright.com Registered & Protected

यह अपना हिन्दी ब्लागजगत, जहाँ थोड़ा बहुत आपसी विवाद चलता ही है, बुद्धिजीवियों का वैचारिक मतभेद !

शुक्र है कि, सैद्धान्तिक सहमति अविष्कृत हो जाते हैं, और यह ज़्यादा नहीं टिकता, छोड़िये यह सब, आगे बढ़ते रहिये !

ब्यौरा ब्लॉग साइट मैप