मुला , किसी के जाने के बाद भी उसकी भीनी भीनी खुशबू साँसों में बसाये रखने में आपको एतराज़ हो तो हो, किंतु यह अपुन का बैटरी रिचार्ज का नुस्ख़ा है, जरा अपनी आँखें बन्द करके बर्षों पहले मिली किसी कन्या का ध्यान लगाओ ( बशर्ते कि वह आपकी बीबी न बन चुकी हो, दिमाग पर जोर दो । और भी कई होंगी... ख़्यालों में ! ) तो हम आज यहाँ 22 मार्च 2008 के कुछ तस्वीरें गुनगुना रहे हैं, चाहो तो आप भी तनिक झाँक लो ।
यहाँ कोई रोकटोक तो है नहीं, जउन मर्ज़ी वहिका ठेलि दियो । लेकिन हमारा इरादा इतना गंदा नहीं, * हम तो सिर्फ़ इन लम्हों को महफ़ूज़ बनाये रहने को यहाँ पर सहेज़ रहे हैं । टेक केयर &गिव योर कमेन्ट
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लगे हाथ टिप्पणी भी मिल जाती, तो...
जरा साथ तो दीजिये । हम सब के लिये ही तो लिखा गया..
मैं एक क़तरा ही सही, मेरा वज़ूद तो है ।
हुआ करे ग़र, समुंदर मेरी तलाश में है ॥
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इन पोस्ट को चाक करती धारदार नुक़्तों का भी ख़ैरम कदम !!
Please avoid Roman Hindi, it hurts !
मातृभाषा की वाज़िब पोशाक देवनागरी है
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