पब्लिक इंटरनेट एक्सप्लोरर से एक नामालूम परहेज़ करती है, डा०द्विवेदी ने मित्रवत सलाह दी है, कि लोगों को फ़ायरफ़ाक्स ज़्यादा रास आता है और वहाँ फ़ोन्ट्स ठीक से न पढ़ पाने की वज़ह से लोग मेरे पोस्ट के टुकड़े टुकड़े करके... मुँह बिचकाये और चल दिये
मैंने तत्काल यानि फ़ौरन से पेश्तर फ़ायरफ़ाक्स ज़ी का आवाह्नन किया और स्थापित कर दिया, वाकई ज़नाब फ़ोन्ट्स में खड़बड़ाये घबड़ाये से लग रहे थे , IE 7 में आपकी दुआ से सब ठीकठाक है
मोज़िल्ला से मदद की गुहार की तो उन्होंने विस्ता अल्टिमेट में इसके बौरा जाने की पुष्टि की एवं फ़ायरफ़ाक्स बीटा 3.0? प्रयोग करके देखें, ऎसी पेशकश की एवं लाइवराइटर से बचने की सलाह दी । क्या सही है, यह तो मेरे को मालूम नहीं किंतु बीटा 3.0? महोदय मेरे सिस्टम में लैंड करते ही क्रैश कर गये सो, फिर छिड़ी यार...बात ऽ ऽ मूँछों की..ऽ ..ऽ की अगली कड़ी यहाँ एक फोटोब्लाग के रूप में दे रहा हूँ
यह सभी चित्र अंतर्राष्ट्रीय मुँच्छड़ सम्मेलन 2006, म्युनिख़ से लिये गये हैं । प्रतापगढ़, उ०प्र० एवं सांगानेर, राज० के दो जन भी इसमें सांत्वना पुरस्कार एवं प्रशस्तिपत्र से नवाज़े गये थे । उनके चित्र प्राप्त करने का प्रयास जारी है । आख़िर भारत महान के मूँछों की भी कोई प्रतिष्ठा तो है ही । इतनी हल्की पोस्ट में ये भारी भरकम मूँछें.... है न अज़ीब बात !
4 टिप्पणी:
अरे! एक भी देसी मूँछ नहीं?
मूंछे हों तो डा.अमर कुमार जैसी।
सही है...एक भी अपना बंदा नहीं. जरुर ओलंपिक से लिये होंगे. :)
AMARJI,
MERE BLOGPAR AAKE PYARISI TIPPANI DEE USKA TAHE DILSE SHUKRIYA!
AAPKE BLOGPARSE TO NIKALNEKA JEEHI NAHI KARTA...RAATKE 2 BAJ CHUKE HAIN,AUR MAI PADHTI JAA RAHI HUN!!
SHAMA
लगे हाथ टिप्पणी भी मिल जाती, तो...
जरा साथ तो दीजिये । हम सब के लिये ही तो लिखा गया..
मैं एक क़तरा ही सही, मेरा वज़ूद तो है ।
हुआ करे ग़र, समुंदर मेरी तलाश में है ॥
Comment in any Indian Language even in English..
इन पोस्ट को चाक करती धारदार नुक़्तों का भी ख़ैरम कदम !!
Please avoid Roman Hindi, it hurts !
मातृभाषा की वाज़िब पोशाक देवनागरी है
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