नेट पर बस इधर उधर टहल रहा हूँ । लोगों ने आनन फ़ानन मुंबई हादसे पर अपनी हाज़िरी लगा दी है । कुछेक जन तो बहुत ही गंभीर रहे हैं, कुछेक डाक्टर सेक्योरिटी को मारने पीटने के तेवर में दिखे । डाक्टर तो आपने ही चुना होगा । पर, मैं क्या लिखूँ, यह सोचता हुआ अपने इमेज़ एडीटर से खिलवाड़ कर रहा था, मन में चल विचारों को संयत भाषा में बाँधने की उठापटक चल रही है, सहसा कहीं छिपे किसी अदृश्य विचार ने यह इमेज़ बनवा दिया
कोई एकमत न हो पाने पर दूसरी एक और मीटिंग रखने का मौका हाथ में रहेगा
दो मिनट के मौन में, आप शाम को घर ले जाने वाली शाक-भाजी का निर्णय तो ले ही सकते हैं ?
तो.. आइये आज हम देश की सुरक्षा व्यवस्था पर अपनी मीटिंग जारी रखें
8 टिप्पणी:
bahut umda
परपजलेस तो नहीं ही है।
meeting ke alava aur kya rakh sakte hain? jo maarne aaye the vo phir aayenge, ham yoo hi meeting ke chakkar me rahenge.. kabhi uchh-stariy baithak hogi to kabhi nimn stariy .. magar hogi bas meeting..
सटीक।
क्या कहे अब भी नही चेता देश तो आगे ऐसी मीटिंग का भी मौका नही मिलेगा
निठल्ला नहीं, यह तो कामकाजी चिन्तन है ।
बहुत ही उम्दा
charcha karna ek majaboori ban gai hai ji
लगे हाथ टिप्पणी भी मिल जाती, तो...
जरा साथ तो दीजिये । हम सब के लिये ही तो लिखा गया..
मैं एक क़तरा ही सही, मेरा वज़ूद तो है ।
हुआ करे ग़र, समुंदर मेरी तलाश में है ॥
Comment in any Indian Language even in English..
इन पोस्ट को चाक करती धारदार नुक़्तों का भी ख़ैरम कदम !!
Please avoid Roman Hindi, it hurts !
मातृभाषा की वाज़िब पोशाक देवनागरी है
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