या फिर दिवालियापन है ?
मैं समझूँ .. ना समझूँ , तू समझ ले ज़रूर....... .. यह कैसा दिवालियापन है...ऽ...ऽ ?सच्चि मा हमरे इलेक्ट्रानिक मीडिया को ई हुई का गवा है ? चलत रहे चलत रहे 24 घंटे चलत रहे, ई चलावै की मज़बूरी कउनौ ब्रह्मा तो लिक्खिस नहिं न , तौ घड़ि दुई घड़ि रेस्ट ले लियो ! ई कचरा काहे पड़ोसत हो भाई , अँय ? हिंदुस्तान भरे मा हर घड़ि, हज़्ज़ारन मनई गुजर जात है , अउर सैकड़न बिरेकिंग नियूज़ मिलिहें , तनिक आपन नज़र तो दउड़ाओ ! अइसा ब्रेकिंग न्यूज़ दइ दिहो के, अब हमरी मेहरिया खानौ न बनाई अउर हम खाब का ?
श्री अशफाक उल्ला खां – मैं मुसलमान तुम काफिर ?
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इस तरह की अपनी कुर्बानियों से वतन की मिट्टी – पानी का कर्ज़ अदा करने
वाले सिरफिरे मतवालों में श्री बिस्मिल के बाद अशफ़ाक़ उल्ला खाँ का ही नाम
आता है...
2 टिप्पणी:
अमर भैया हम तो टीभी न्यूज देखबो छोड़ दीन्ह। अउर महरिया खानो न बनाई तो हमरी छपरिया में आ जाई। हमरी महरिया रोज एक मानुस भोजन कराइब ढूंढत रही।
धन्यवाद द्विवेदी जी,
हमको मानुस समझने के लिये !
पहले मेगास्टार का ज़ुकाम ठीक होने की
ख़बर तो आ जाय, भोजन पानी बाद में देखेंगे ।
लगे हाथ टिप्पणी भी मिल जाती, तो...
जरा साथ तो दीजिये । हम सब के लिये ही तो लिखा गया..
मैं एक क़तरा ही सही, मेरा वज़ूद तो है ।
हुआ करे ग़र, समुंदर मेरी तलाश में है ॥
Comment in any Indian Language even in English..
इन पोस्ट को चाक करती धारदार नुक़्तों का भी ख़ैरम कदम !!
Please avoid Roman Hindi, it hurts !
मातृभाषा की वाज़िब पोशाक देवनागरी है
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