ॐ जय गूगल हरे, स्वामी जय गूगल हरे
फ़्रस्ट (एटेड ) जनों के संकट, त्रस्त जनों के संकट
एक क्लिक में दूर करे
ॐ जय गूगल हरे…
जो ध्यावै सो पावै
दूर होवै शंका, स्वामी दूर होवै शंका
सब इन्फ़ो घर आवै, सब इन्फ़ो घर आवै
कष्ट मिटै मन का
ॐ जय गूगल हरे…
नेट पिता तुम मेरे
शरण गहूं किसकी, स्वामी शरण गहूं किसकी
तुम बिन और न दूजा, तेरे बिन और न दूजा
होप करूं किसकी
ॐ जय गूगल हरे…
तुम पूरन हो खोजक
तुम वेबसाइटयामी, स्वामी तुम वेबसाइटयामी
पार नेट परमेश्वर, पार नेट परमेश्वर
तुम सबके स्वामी
ॐ जय गूगल हरे…
तुम ब्लागर. के फ़ादर
तुम ही इक सर्चा, स्वामी तुम ही इक सर्चा
मैं मूरख हूं सर्चर, मैं मूरख हूं सर्चर
कृपा करो भरता
ॐ जय गूगल हरे…
तुम सर्वर के सर्वर
सबके डाटापति, स्वामी सबके डाटापति
किस विधि एन्टर मारूं, किस विधि एन्टर मारूं
तुममें मैं कुमति
ॐ जय गूगल हरे…
दीनबंधु दु:खहर्ता
खोजक तुम मेरे, स्वामी शोधक तुम मेरे
अपने फ़ण्डे दिखाओ, कुछ तो टिप्पणी दिलाओ
साइट खड़ा तेरे
ॐ जय गूगल हरे…
बोरियत तुम मिटाओ
टेंशन हरो देवा, स्वामी टेंशन हरो देवा
गूगल अकाउण्ट बनाया गूगल अकाउण्ट बनाया
पाया ब्लागिंग मेवा स्वामी पाया ब्लागिंग मेवा
जो नर ब्लागिंग धावैं करैं निजभाखा सेवा
ॐ जय गूगल हरे
26 टिप्पणी:
जय हो!!
अब से यही आरती पढ़कर कम्प्यूटर चालू किया जायेगा.
मजेदार. जय हो पंडित जी की. :)
जय हो , जॉय हो ,गूगल हो ,एन्जॉय हो बढिया गूगल स्तवन !
चलिये, ब्लोगिंग के धर्मविश्वास भी जगने लगे. ऐसे ही किसी अमर कुमार ने असली आरती की शुरुआत की होगी-निट्ठले बैठ कर.
जै जै, जैजै, जी की जैजै।
गज़ब कर दिया डा साब,एकदम सही पर्चा लिख दिया।सब मर्ज़ की एक दवा अमर कुमार-अमर कुमार्।
वाह भई गूगल देवता की जय!
लाजवाब रचना है, लिखते रहें
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गुलाबी कोंपलें | चाँद, बादल और शाम | तकनीक दृष्टा/Tech Prevue | आनंद बक्षी | तख़लीक़-ए-नज़र
शरण गहूं किसकी, 'स्वामी' शरण गहूं किसकी
बढ़िया आरती गढे हैं, सर. इसका पेटेंट करवा लीजिये नहीं तो गूगल का कोई कर्मचारी अन्तिम किसी लाइन में अपना नाम.....कहत जॉन्सन जेना सुख संपत पावे...टाइप से लगाकर अपने बॉस को सुना डालेगा. प्रमोशन के चक्कर में कर्मचारी कुछ भी कर सकता है....:-)
गूगल देव के साथ साथ पंडित जी कि भी जय.. :)
google dev ki jay....
कट कॉपी पेस्ट कट कॉपी पेस्ट कट कॉपी पेस्ट कट कॉपी पेस्ट कट कॉपी पेस्ट कट कॉपी पेस्ट कट कॉपी पेस्ट कट कॉपी पेस्ट कट कॉपी पेस्ट कट कॉपी पेस्ट कट कॉपी पेस्ट :)
आप फिर शुरू हो गये..
जय हो गूगल बाबा की
"गूगल बाबा की आरती .....जय हो "
Regards
कहाँ है चरण गुरु जी.......
जो जी गूगल बाबा के प्रताप से एक टिप्पणी हमारी भी..........
वाह वाह वाह !
@ हिमाँशु जी.
ॐ जय जगदीश.. मूल आरती पंज़ाब के पंडित श्रध्धाराम जी ने 1881 में लिखी थी । देखें ॐ जय जगदीश हरे एवं प्रश्नावली !
एक ई-मेल से प्रेरित होकर दिवंगत महान आत्मा से क्षमायाचना सहित यह पैरोडी यहाँ स्वतः बन पड़ी है । अमर कुमार तो उनके सम्मुख कहीं नहीं ठहरते । वैसे आपका " निट्ठल्ले कहीं के " कहना बड़ा आनन्द देता है । मानों इस ब्लाग की थीम सार्थक हो गई हो !
@ शिवभाई,
अपुन का पेटेन्टवा में विश्वास नहीं है, वरना अवश्य करवा लेता । लीजिये यह आरती आपको ही समर्पित किया, आप जो चाहें, करें ।
@ डा० अनुराग,
भाई डाक्टर, अपने दोनों चरण तुमको कूरियर कर तो दिया है, छू-छा कर लौटती फ़र्स्ट-फ़्लाइट से वापस कर देना !
@ भाईकुश,
कापीइच तो नेंई होता, पर यह सामग्री चिट्ठाचर्चा पर दे दिया है, लूट सके तो लूट !
गज़ब डाकसाब
गूगल महाराज की कृपा आप और हम पर सदा सदा बनी रहे
वाह वाह!!
जय हो जय हो जय हो
जय जय जय जय हो
बहुत खूब डॉ. साब
नए युग की नई वंदना खूब लिखी है आपने
c4blog gmail wale id pe mail kiye hai ji.. chk kariyega..
बोले तो बिल्कुल मस्त /इस ब्लॉग का पता बहुत बिलम्ब से लगा फिर भी ठीक है देर आयद दुरुस्त आयद /प्रारंभिक कार्टून प्यारा / डाक्टर साहिब आप भी मज़ेदार हो ,होना भी चाहिए जी और क्या रखा है
धन्य-धन्य महाराज| एक ही देवता की कई स्तुतियाँ भी हो सकतीं हैं , अवलोकन करें
आरती श्री गूगल महाराज की
अमर जी,
गूगल देवता की आरती से मन गद गद हो गया ....जे गूगल देवा !!!!!!!!!!!!!
wah aaj se mai computer prayog karne se pahle yah stuti gaan jarur karunga....jai ho...
aapke sujhav ke liye dhanyawaad.maine apne blog se yathasambhav java script aur anya tool ko hata diya hai....ab swagat hai aapka mere blog par aur aapke tippanio ka bhi besabri se intzaar rahega.
क्या बात है ? आज बहुत सारी प्रविष्टियाँ पुरानी ही मेरी रीडिंग लिस्ट में दिख रही हैं। पुनः पोस्ट करने की कोई जरूरत ?
लगे हाथ टिप्पणी भी मिल जाती, तो...
जरा साथ तो दीजिये । हम सब के लिये ही तो लिखा गया..
मैं एक क़तरा ही सही, मेरा वज़ूद तो है ।
हुआ करे ग़र, समुंदर मेरी तलाश में है ॥
Comment in any Indian Language even in English..
इन पोस्ट को चाक करती धारदार नुक़्तों का भी ख़ैरम कदम !!
Please avoid Roman Hindi, it hurts !
मातृभाषा की वाज़िब पोशाक देवनागरी है
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